कब का भूला पल आँखों में उभरा है

कब का भूला पल आँखों में उभरा है यादों का बादल आँखों में उभरा है   पाँव पसारे हैं जब भी सन्नाटे ने भारी कोलाहल आँखों में उभरा है   पत्थर ही पत्थर पलकों से टकराए जब-जब शीशमहल आँखों में उभरा है   जब भी सूरज ने आँखें दिखलाई हैं आँगन का पीपल आँखों में … Continue reading कब का भूला पल आँखों में उभरा है